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क्या होती है बिजनेस एडवाइजरी कमेटी? कैसे करती है काम, जानें क्यों है जरूरी

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Posted On:Tuesday, July 22, 2025

श में इस समय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर जबरदस्त चर्चा हो रही है। उन्होंने सोमवार देर रात स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। खास बात यह है कि उन्होंने इस्तीफे से पहले सोमवार को शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में अपने सारे काम पूरे किए और शाम को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक भी बुलाई, जिसमें संसद के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। आइए, जानते हैं बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) क्या होती है, इसका काम क्या है और ये कैसे काम करती है।


बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) क्या है?

बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) भारत की संसद की एक महत्वपूर्ण समिति है, जो संसद के कामकाज को सुचारू और प्रभावी बनाने के लिए जिम्मेदार होती है। BAC का मुख्य काम लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के लिए बिलों, प्रस्तावों और अन्य मुद्दों को व्यवस्थित करना होता है। यानी, संसद में किन मुद्दों पर कब और कितना समय दिया जाएगा, इसका निर्णय इसी कमेटी द्वारा किया जाता है।

यह समिति यह सुनिश्चित करती है कि संसद की कार्यवाही बिना किसी बाधा के चले और सभी जरूरी मुद्दे समय पर चर्चा के लिए आ सकें। इसके अलावा, BAC सरकार द्वारा प्रस्तुत बिलों, नीति प्रस्तावों और अन्य संसदीय कार्यों के लिए समय तय करती है, ताकि संसद का काम सुचारू और प्रभावी रूप से संपन्न हो सके।


BAC कैसे काम करती है?

BAC का कामकाज काफी सुनियोजित और व्यवस्थित होता है। ये समिति संसद के अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति के नेतृत्व में काम करती है। संसद के विभिन्न सदस्यों के बीच समन्वय स्थापित करती है ताकि संसदीय कार्य ठीक प्रकार से हो सकें।

यह कमेटी समय सारिणी तय करती है और संसद की कार्यवाही के दौरान उठने वाली किसी भी प्रकार की बाधा को कम करने की कोशिश करती है। BAC विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों को भी शामिल करती है ताकि सभी दलों की सहमति से संसद का एजेंडा तय किया जा सके। यह प्रक्रिया संसद के कामकाज को पारदर्शी और लोकतांत्रिक बनाती है।


BAC में सदस्य कौन-कौन होते हैं?

लोकसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में कुल 15 सदस्य होते हैं। इनमें लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) सदस्या के रूप में होते हैं और बाकी सदस्य विभिन्न राजनीतिक दलों से चुने जाते हैं। राज्यसभा की BAC में भी करीब 10 से 15 सदस्य होते हैं, जिसमें उपराष्ट्रपति (जो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं) और विभिन्न दलों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

यह समिति सुनिश्चित करती है कि सभी राजनीतिक पार्टियों को उचित प्रतिनिधित्व मिले और सभी पक्षों की राय को ध्यान में रखकर संसद का एजेंडा तय किया जाए। BAC का गठन पहली बार 14 जुलाई 1952 को किया गया था और तब से यह समिति संसद की एक अनिवार्य और महत्वपूर्ण अंग बनी हुई है।


मानसून सत्र 2025 से पहले BAC की बैठक

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के दिन, यानी सोमवार को मानसून सत्र 2025 की शुरुआत से पहले बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक हुई थी। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया दावे और बिहार के SIR (स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन) को लेकर बातचीत शामिल थी।

बैठक के दौरान इन सभी विषयों पर चर्चा के बाद संसदीय कार्यों के लिए समय तय किया गया, ताकि मानसून सत्र में इन मुद्दों पर प्रभावी ढंग से विचार किया जा सके। यह दिखाता है कि BAC संसद के कामकाज के सुचारू संचालन में कितनी अहम भूमिका निभाती है।


उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का BAC से जुड़ाव

जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति होने के साथ-साथ राज्यसभा के सभापति भी थे। इस पद के नाते वे राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के अध्यक्ष भी होते हैं। इसका मतलब है कि वे BAC की बैठकों का नेतृत्व करते थे और संसद की कार्यवाही के प्रबंधन में उनकी अहम भूमिका होती थी।

धनखड़ का इस्तीफा न केवल उपराष्ट्रपति पद पर बल्कि राज्यसभा के संचालन और BAC की गतिविधियों पर भी प्रभाव डाल सकता है। उनकी जगह किसे उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति के तौर पर नियुक्त किया जाएगा, यह आने वाले समय में राजनीतिक चर्चा का विषय बनेगा।


निष्कर्ष

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफे ने संसद के मानसून सत्र के दौरान एक नया राजनीतिक परिदृश्य प्रस्तुत किया है। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी जैसी महत्वपूर्ण समिति का उनके नेतृत्व में काम करना संसद के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक था। अब उनकी अनुपस्थिति में यह जिम्मेदारी किस प्रकार पूरी होगी, यह देखने वाली बात होगी।

BAC जैसे संसदीय संस्थान संसद के कामकाज को लोकतांत्रिक, व्यवस्थित और प्रभावी बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इस समिति के नेतृत्व और कार्यशैली में कोई बाधा न आए, ताकि देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद का कामकाज बिना रुकावट जारी रह सके।

देश और संसद की स्थिरता के लिए यह समय नए नेतृत्व की खोज और कुशल संसदीय प्रबंधन का है, जिससे देश की जनप्रतिनिधि संस्था अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी तरह कर सके।


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