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अमेरिका ने ब्रिक्स देशों को दी धमकी, भारत, चीन और ब्राजील को भी दी चेतावनी

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Posted On:Tuesday, July 22, 2025

अमेरिका ने हाल के दिनों में ब्रिक्स (BRICS) देशों को लेकर अपनी कड़ी रुख अपनाई है। खासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी और रिपब्लिकन पार्टी के वरिष्ठ सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने ब्रिक्स देशों समेत भारत, चीन और ब्राजील को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर ये देश रूस से सस्ते तेल की खरीदारी बंद नहीं करते हैं तो उन पर भारी मात्रा में टैरिफ लगाए जाएंगे, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है। यह अमेरिकी विदेश नीति में रूस और उसके समर्थकों के प्रति कड़ा रुख दर्शाता है।


100 से 500 प्रतिशत तक के टैरिफ की धमकी

सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत, चीन और ब्राजील को चेतावनी दी गई है कि यदि ये देश रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखते हैं तो उन पर 100 से 500 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाए जाएंगे। यह एक बहुत ही बड़ा आर्थिक दंड होगा, जो इन देशों की अर्थव्यवस्था पर भारी असर डाल सकता है। ग्राहम के अनुसार, रूस से तेल खरीदना युद्ध को समर्थन देना माना जाएगा, जिसे अमेरिका कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।

ग्राहम ने कहा, “रूस से तेल खरीदना एक तरह से युद्ध को सहायता प्रदान करना है। हमें उम्मीद है कि ये देश हमारी बात समझेंगे और अपनी नीति बदलेंगे, वरना अमेरिकी सरकार कड़ा कदम उठाने के लिए तैयार है।” उन्होंने यह भी कहा कि तीनों देशों को इस संबंध में तत्काल प्रभाव से अपने कदमों में बदलाव करना होगा, अन्यथा आर्थिक प्रतिबंधों से उनकी आर्थिक वृद्धि रुक जाएगी।


ब्रिक्स देशों को भी चेतावनी

लिंडसे ग्राहम ने सिर्फ भारत, चीन और ब्राजील को ही नहीं बल्कि पूरी ब्रिक्स समूह को भी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नीति के खिलाफ जाने वाले ब्रिक्स देशों पर भी भारी टैरिफ लगाए जाएंगे। अगर वे अमेरिका की मांगों को मान लेते हैं तो उन्हें राहत दी जाएगी, लेकिन अगर वे अपने रूख पर अड़े रहे तो उन्हें कड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

ग्राहम ने यह भी कहा कि अमेरिका ने ब्रिक्स देशों को कई बार समझाया है, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज किया गया है। इस बार अमेरिका का रवैया कड़ा है और वह इस बार अपने फैसले पर अडिग रहेगा। उन्होंने साफ कहा, “ब्रिक्स देशों को हमारी बात माननी होगी, नहीं तो उन्हें टैरिफ के भयंकर बोझ के लिए तैयार रहना चाहिए।”


लिंडसे ग्राहम और ट्रंप की कड़ी विदेश नीति

लिंडसे ग्राहम को अमेरिकी विदेश नीति में एक सख्त और आक्रामक नेता माना जाता है। वे रूस और चीन के कट्टर विरोधी हैं और अक्सर अमेरिका की कड़ी नीति के समर्थक रहते हैं। उन्होंने पहले भी कई बार रूस और चीन के खिलाफ बयानबाजी की है और कई बार ब्रिक्स देशों को भी चेतावनी दी है। ट्रंप प्रशासन के दौरान भी वे विदेश नीति में कड़ा रुख अपनाते रहे हैं और अब भी उनका प्रभाव अमेरिकी विदेश नीति पर कायम है।

ग्राहम की यह धमकी अमेरिकी विदेश नीति की उस कड़ी लाइन को दर्शाती है जो रूस को कमजोर करने और उसके सहयोगियों को दंडित करने की कोशिश में लगी है। यह नीति उन देशों को अमेरिका की इच्छानुसार चलाने की कोशिश करती है जो रूस से आर्थिक या सैन्य समर्थन लेते हैं।


ब्रिक्स देशों की प्रतिक्रिया और वैश्विक राजनीति पर प्रभाव

ब्रिक्स देशों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है क्योंकि ये देश एक-दूसरे के साथ मजबूत आर्थिक और राजनीतिक साझेदारी बनाए हुए हैं। रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद ये देश एक दूसरे के साथ सहयोग बढ़ा रहे हैं, खासकर ऊर्जा क्षेत्र में। भारत, चीन और ब्राजील ने रूस से तेल की खरीद जारी रखी है क्योंकि इससे उन्हें सस्ता ऊर्जा स्रोत मिलता है और वैश्विक बाजार में अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलती है।

अगर अमेरिका इस तरह के टैरिफ लगाएगा तो इसका असर वैश्विक व्यापार और आर्थिक संतुलन पर पड़ेगा। इससे न केवल ये देश प्रभावित होंगे, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और ऊर्जा बाजार भी अस्थिर हो सकते हैं। इसके साथ ही, यह टकराव अमेरिका और ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार युद्ध को और गहरा कर सकता है।


निष्कर्ष

अमेरिका की तरफ से ब्रिक्स देशों को दी गई यह कड़ी चेतावनी वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में नए तनाव पैदा कर सकती है। सीनेटर लिंडसे ग्राहम की धमकी से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका रूस के साथ जुड़े देशों को कमजोर करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।

भारत, चीन, ब्राजील और अन्य ब्रिक्स देशों के लिए यह जरूरी होगा कि वे अमेरिका की इस धमकी का रणनीतिक तरीके से सामना करें और अपनी आर्थिक व राजनीतिक नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करें। वहीं अमेरिका की यह नीति वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा और तनाव को और बढ़ा सकती है, जिसका असर सभी बड़े आर्थिक खिलाड़ियों पर पड़ेगा।

इस बहुआयामी राजनीतिक और आर्थिक युद्ध में आगे क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन फिलहाल अमेरिका की इस कड़ी नीति ने वैश्विक राजनीति को फिर से उथल-पुथल में डाल दिया है।


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