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क्या 'बॉयफ्रेंड' होना शर्मिंदगी की बात है? भारतीय महिलाएं क्यों अपना रहीं 'सिंगलहुड'

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Posted On:Wednesday, November 5, 2025

मुंबई, 5 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) भारतीय समाज में रिश्तों को लेकर एक नया और दिलचस्प ट्रेंड देखने को मिल रहा है। एक तरफ जहाँ महिलाएं तेजी से आत्मनिर्भर और सफल हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर 'सिंगल' रहने यानी अकेले रहने का चलन भी बढ़ रहा है। लेकिन अब, इस ट्रेंड में एक नया मोड़ आया है, जहाँ कुछ حلقوں में "बॉयफ्रेंड" होना गर्व की बात न होकर, थोड़ी "शर्मिंदगी" (Embarrassing) की बात माना जाने लगा है।

यह बदलाव सोशल मीडिया से लेकर असल जिंदगी तक में दिखाई दे रहा है, जहाँ महिलाएं अपनी रोमांटिक जिंदगी को निजी रखना या उसे एक नए नजरिए से पेश करना पसंद कर रही हैं।

'सिंगल' होना है नया 'स्टेटस सिंबल'

आज की आत्मनिर्भर महिला के लिए, सिंगल होना अब मजबूरी नहीं, बल्कि एक 'स्टेटस सिंबल' बन गया है। यह उनकी स्वतंत्रता, आत्मविश्वास और अपने जीवन पर उनके नियंत्रण को दर्शाता है।

आजादी को प्राथमिकता: कई महिलाएं मानती हैं कि एक रिश्ते में आने से, खासकर एक हेट्रोसेक्सुअल (विषमलैंगिक) रिश्ते में, उनकी "औरा" या व्यक्तिगत पहचान कम हो सकती है। उन्हें लगता है कि वे "मुख्य किरदार" (main character) से हटकर किसी की "प्लस वन" (plus-one) बनकर रह जाएंगी।

आर्थिक स्वतंत्रता: आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के कारण, महिलाओं को अब सामाजिक या आर्थिक सुरक्षा के लिए शादी या रिश्ते पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। वे अपनी शर्तों पर जीवन जी रही हैं और अपनी मानसिक शांति को किसी भी चीज़ से ऊपर रख रही हैं।

मिस्टर राइट की तलाश: महिलाएं अब किसी भी 'मिस्टर राइट' से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं। वे एक ऐसा साथी चाहती हैं जो उनकी सफलता और स्वतंत्रता का सम्मान करे और रिश्ते में बराबरी का भागीदार हो।

'बॉयफ्रेंड' को क्यों छिपा रही हैं महिलाएं?

जो महिलाएं रिश्ते में हैं भी, वे उसे दुनिया के सामने लाने से कतरा रही हैं। सोशल मीडिया पर "हार्ड लॉन्च" (रिश्ते को सार्वजनिक करना) का दौर खत्म हो रहा है और इसकी जगह "सॉफ्ट लॉन्च" (subtle hints) या "नो लॉन्च" (बिलकुल न बताना) ने ले ली है।

इसके कई दिलचस्प कारण सामने आए हैं:

'नजर' लगने का डर: यह एक सदियों पुरानी भारतीय धारणा है, जो अब डिजिटल युग में भी कायम है। कई महिलाओं का मानना है कि अपनी खुशी या अपने पार्टनर को सोशल मीडिया पर दिखाने से "बुरी नजर" लग सकती है, जिससे रिश्ता टूट सकता है।

प्राइवेसी और आत्म-रक्षा: आज के दौर में जहाँ "ब्रेकअप" भी वायरल हो जाते हैं, महिलाएं अपनी निजी जिंदगी को तमाशा नहीं बनने देना चाहतीं। रिश्ता टूटने पर ऑनलाइन दुनिया की क्रूरता से बचने के लिए वे इसे निजी रखना ही बेहतर समझती हैं।

परफॉर्मेटिव सिंगलहुड: यह एक अजीब लेकिन सच्चाई है, खासकर इन्फ्लुएंसर कल्चर में। कुछ महिलाएं, जो खुद रिश्ते में हैं, वे भी सार्वजनिक रूप से "बॉयफ्रेंड की बुराई" (boyfriend slander) करने वाले ट्रेंड में शामिल हो जाती हैं। ऐसा वे अपने फॉलोअर्स, खासकर सिंगल महिलाओं के बीच अपनी 'रिलेटेबिलिटी' (relatability) बनाए रखने के लिए करती हैं।

रिश्तों का बदलता राजनीतिकरण

चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ ऑनलाइन चर्चाओं में, एक पुरुष के साथ रिश्ते में होने को राजनीतिक रंग भी दिया जा रहा है। कुछ वायरल पोस्ट्स में "बॉयफ्रेंड" होने को पितृसत्तात्मक व्यवस्था (patriarchal norms) के साथ जुड़ने के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि यह एक अतिवादी सोच हो सकती है, लेकिन यह दर्शाता है कि युवा महिलाएं रिश्तों को कितने अलग-अलग और गहरे स्तरों पर परख रही हैं।

कुल मिलाकर, भारतीय महिला अब अपनी जिंदगी के फैसले खुद ले रही है - चाहे वह सिंगल रहना हो या किसी रिश्ते में होना। लेकिन एक बात साफ है: वह अब अपनी पहचान, स्वतंत्रता और मानसिक शांति से समझौता करने के मूड में नहीं है।


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