मुंबई, 11 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन) किडनी की बीमारी अक्सर चुपचाप बढ़ती है, लेकिन शुरुआती लक्षणों को पहचानने से गंभीर जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के नेफ्रोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जयंत कुमार होता ने प्रमुख चेतावनी संकेत और कब जांच करवानी चाहिए, इस बारे में बताया।
किडनी की बीमारी के शुरुआती लक्षण
🔹 लगातार थकान – टॉक्सिन बिल्डअप के कारण लगातार थकान हो सकती है।
🔹 सूजन – द्रव प्रतिधारण से टखनों, पैरों या हाथों में सूजन हो सकती है।
🔹 पेशाब में बदलाव – खून, झागदार बनावट या बदली हुई आवृत्ति की जांच करें।
🔹 सांस लेने में तकलीफ – फेफड़ों में द्रव का जमा होना सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकता है।
🔹 पीठ के निचले हिस्से में दर्द – किडनी क्षेत्र में असुविधा समस्याओं का संकेत हो सकती है।
🔹 मतली और उल्टी – अपशिष्ट बिल्डअप पाचन संबंधी परेशानियों को ट्रिगर कर सकता है।
🔹 उच्च रक्तचाप – किडनी की बीमारी का एक कारण और लक्षण दोनों।
🔹 खुजली वाली त्वचा - विषाक्त पदार्थों के जमा होने से त्वचा में सूखापन और जलन हो सकती है।
किसे जांच करवानी चाहिए?
अगर आपको मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास है या आप 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, तो नियमित जांच आवश्यक है।
मुख्य निदान परीक्षण
✔ eGFR परीक्षण - रक्त परीक्षण के माध्यम से किडनी के कार्य को मापता है।
✔ uACR परीक्षण - मूत्र में अतिरिक्त प्रोटीन का पता लगाता है, जो क्षति का प्रारंभिक संकेत है।
समय पर पता लगाना क्यों महत्वपूर्ण है
समय पर निदान रोग की प्रगति को धीमा कर सकता है, उपचार के परिणामों में सुधार कर सकता है और दीर्घकालिक किडनी स्वास्थ्य की रक्षा कर सकता है। यदि आपको लक्षण दिखाई देते हैं या जोखिम कारक हैं, तो मूल्यांकन और निवारक देखभाल के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।