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मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, सभी 12 आरोपी हुए थे बरी, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, July 24, 2025

मुंबई, 24 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले पर गुरुवार को रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने 21 जुलाई को सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था, जिसके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक का असर आरोपियों की रिहाई पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्हें पहले ही जेल से रिहा किया जा चुका है। इस मामले में कुल 13 लोग आरोपी बनाए गए थे, जिनमें से एक की पहले ही मौत हो चुकी है और बाकी 12 सभी रिहा हो चुके हैं। वर्ष 2006 में 11 जुलाई को मुंबई की वेस्टर्न रेलवे लाइन पर चलने वाली लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कोचों में शाम के समय सात सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इन धमाकों में 189 लोगों की जान गई थी और 824 यात्री घायल हुए थे। करीब 19 साल बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि आरोपियों को जेल भेजने की मांग नहीं की जा रही, केवल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए ताकि वह कोई कानूनी मिसाल न बन सके। इस पर जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने आदेश देते हुए कहा कि सभी आरोपी पहले ही रिहा हो चुके हैं और फैसले पर अंतरिम रोक लगाई जाती है, ताकि उसे मिसाल न माना जाए।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 21 जुलाई को दिए गए अपने आदेश में कहा था कि सरकारी वकील आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में असफल रहे हैं। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कहा था कि यह मानना मुश्किल है कि आरोपियों ने यह अपराध किया और यदि वे किसी अन्य मामले में वॉन्टेड नहीं हैं, तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। फैसले के दिन ही नागपुर सेंट्रल जेल से दो आरोपियों को रिहा कर दिया गया था। इनमें एक एहतेशाम सिद्दीकी था, जिसे निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, और दूसरा मोहम्मद अली था, जिसे उम्रकैद मिली थी। हालांकि, एक अन्य आरोपी नवीद खान अब भी नागपुर जेल में बंद है, क्योंकि वह हत्या के प्रयास के एक अन्य मामले में विचाराधीन कैदी है। 2006 के ब्लास्ट में प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और कीलों को भरकर टाइमर से धमाके किए गए थे। ये धमाके खार, बांद्रा, जोगेश्वरी, माहिम, बोरीवली, माटुंगा और मीरा-भायंदर स्टेशनों के पास हुए थे। धमाकों के बाद एंटी टेररिज्म स्क्वैड ने 20 जुलाई से 3 अक्टूबर 2006 के बीच 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। चार्जशीट में कुल 30 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें 13 पाकिस्तानी नागरिक बताए गए। मामले की सुनवाई करीब 9 साल तक चली और 11 सितंबर 2015 को स्पेशल मकोका कोर्ट ने 5 आरोपियों को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जबकि एक को बरी कर दिया गया था। 2016 में दोषियों ने हाईकोर्ट में अपील की और लगभग 9 साल चली सुनवाई के बाद 2025 में हाईकोर्ट ने सभी को बरी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट अब इस फैसले की समीक्षा करेगा।


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