मुंबई, 24 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में मुस्लिम धर्मगुरुओं और विद्वानों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में आरएसएस की शीर्ष नेतृत्व टीम मौजूद रही, जिसमें महासचिव दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार जैसे वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल थे। इस संवाद में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी सहित 70 से अधिक मुस्लिम मौलाना, स्कॉलर और बुद्धिजीवी भी उपस्थित थे। हालांकि, इस चर्चा में क्या विशेष विषय सामने आए या किन मुद्दों पर सहमति बनी, इसका आधिकारिक ब्योरा सामने नहीं आया है। यह पहली बार नहीं है जब आरएसएस प्रमुख ने मुस्लिम समुदाय से संवाद किया हो। सितंबर 2022 में भी मोहन भागवत ने कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की थी, जहां ज्ञानवापी और हिजाब विवाद से लेकर जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई थी। उस समय वे दिल्ली के एक मस्जिद में भी पहुंचे थे।
RSS लंबे समय से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच यानी MRM के माध्यम से मुस्लिम समाज के धर्मगुरुओं और सामाजिक प्रतिनिधियों से संपर्क बनाता रहा है। 2023 में इस मंच ने ‘एक राष्ट्र, एक झंडा, एक राष्ट्रगान’ के समर्थन में देशव्यापी अभियान की घोषणा की थी। सितंबर 2021 में एक मुस्लिम विद्वत सम्मेलन के दौरान मोहन भागवत ने कहा था कि भारत में रहने वाले हिंदू और मुसलमानों के पूर्वज एक जैसे हैं और मुस्लिमों को यहां डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा था कि हिंदू शब्द किसी जाति, पंथ या भाषा का परिचायक नहीं बल्कि यह विकास और उत्थान की परंपरा है, जो सभी के लिए मार्गदर्शन करती है। संघ का यह प्रयास लंबे समय से चल रही उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत सामाजिक समरसता और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती है। इसी दिशा में 2022 में RSS नेता इंद्रेश कुमार ने हजरत निजामुद्दीन दरगाह का दौरा किया था। उन्होंने वहां चादर चढ़ाई और मिट्टी के दीये जलाए। इंद्रेश कुमार राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संरक्षक भी हैं। उन्होंने दरगाह में दिए जलाने को शांति, समृद्धि और सौहार्द का प्रतीक बताया था।