नई दिल्ली। भारत में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा पर गंभीर मंथन जारी है। इसी सिलसिले में मंगलवार को संसद भवन में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता जेपीसी के चेयरमैन पीपी चौधरी ने की। इस दौरान समिति के सदस्यों ने इस विचार पर गहन चर्चा की और विभिन्न विशेषज्ञों की राय भी सुनी। आज की बैठक का विशेष आकर्षण रहे भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन, जिन्होंने इस विचार की संवैधानिक और कानूनी जटिलताओं पर विस्तार से अपनी राय दी।
कानूनी विशेषज्ञों ने क्या कहा?
पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने समिति के सामने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा पर अपनी व्याख्या दी। उन्होंने बताया कि इस विचार को लागू करने के लिए संविधान में कुछ संशोधनों की आवश्यकता हो सकती है। वहीं, पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन ने भी चुनाव प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने के कानूनी पहलुओं को रेखांकित किया। दोनों विशेषज्ञों ने यह भी स्पष्ट किया कि इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मजबूत समन्वय जरूरी होगा। इसके अलावा, चुनाव आयोग और न्यायपालिका की स्वतंत्र भूमिका को भी सुनिश्चित करना अहम होगा।
सदस्यों ने उठाए कई सवाल
जेपीसी अध्यक्ष पीपी चौधरी ने बताया कि विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े सदस्यों ने कई अहम सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "सभी सदस्य राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देते हुए विचार कर रहे हैं। जेपीसी किसी भी तरह की दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम कर रही है।" समिति का प्रयास है कि विषय से जुड़ी सभी शंकाओं का समाधान किया जाए। पीपी चौधरी ने यह भी जानकारी दी कि अगली बैठकों में अन्य कानूनी विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं को आमंत्रित किया जाएगा, ताकि विषय के हर पहलू की विस्तृत समीक्षा हो सके।
जनता की राय लेगी समिति
जेपीसी ने इस विचार पर जनता की राय लेने का भी निर्णय किया है। इसके लिए अखबारों और मीडिया चैनलों में विज्ञापन दिए जाएंगे। विज्ञापनों में क्यूआर कोड शामिल होगा, जिसके जरिए लोग सीधे एक समर्पित वेबसाइट पर जाकर अपनी राय साझा कर सकेंगे। यह वेबसाइट जल्द ही लॉन्च की जाएगी और इसके जरिए आम नागरिक, हितधारक और विशेषज्ञ अपनी राय दर्ज करा सकेंगे। जेपीसी का मानना है कि जनता की भागीदारी के बिना इस विचार को प्रभावी रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
17 मार्च को होगी अगली बैठक
जेपीसी की अगली बैठक 17 मार्च को प्रस्तावित है। इसमें और भी कानूनी विशेषज्ञों को बुलाया जाएगा, जो ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की व्यवहार्यता पर अपनी राय देंगे। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगी।